अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप ‘द ग्रेट निकोबार’ करीब-करीब पूरी तरह से घने जंगल से ढका हुआ है और आधुनिक सभ्यता से लगभग अछूता है। शोम्पेन और ‘ग्रेट निकोबारी’ आदिवासी समुदाय इस छोटे से द्वीप में सैकड़ों हज़ारों वर्षों से रह रहे हैं। यहाँ अनेकों दुर्लभ पशु-पक्षि, मछलियाँ, व अन्य प्राणी-प्रजातियां पाई जाती हैं। अब भारत सरकार ‘द ग्रेट निकोबार’ द्वीप में एक विशाल ‘ट्रांसशिपमेंट कंटेनर पोर्ट’ यानी बंदरगाह का निर्माण करने जा रही है। साथ ही साथ, एक नए शहर, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, और पावर प्लांट का भी निर्माण होगा। ये सब करने के लिए १० लाख पेड़ों को काटा जाएगा। परियोजना की लागत होगी, ८०,००० करोड़ रुपये। सुनिए एक चर्चा ‘द ग्रेट निकोबार बिट्रेयल’ के संपादक डॉ पंकज सेखसरिया के साथ जिसमें वे बताते हैं कि ये परियोजना विनाश का पर्याय है, विकास का नहीं।
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(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

