Himanshu Bhagat

Sambandh Ka Ke Ki


किताबों पर चर्चा, हिंदी में 

A conversation on books conducted in Hindi. 

हिमांशु भगत ने पंद्रह वर्षों तक क़िताब प्रकाशन व पत्रकारिता के क्षेत्रों में संपादन और लेखन का काम किया है।वे दिल्ली में रहते हैं।
Himanshu Bhagat has worked in the fields of book publishing and journalism as an editor and writer for 15 years. He lives in Delhi.

हर माह की पहली और पंद्रह तारीख को आपके लिए एक नई चर्चा
A new conversation on the 1st and 15th of every month.

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एपिसोड 32: ‘अ ड्रॉप इन द ओशन’ − सईदा सईदैन हमीद

पड़ोस के बच्चों ने सात साल की सईदा सईदैन के साथ खेलने से इंकार कर दिया क्योंकि वो मुसलमान थी। नन्ही सईदा ने इस घटना पर एक कहानी लिखी जो बहुत सराही गयी और एक किताब के रूप में छपी। किताब खूब चली और सईदा को तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित नेहरू के हाथों एक गुड़िया पुरूस्कार में मिली। आगे चल के डॉ सईदा हमीद ने पढ़ा-लिखा, घर बसाया, और घर के बाहर भी बहुत कुछ हासिल किया। वे योजना आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं, और उन्होंने एक कुशल लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, व शिक्षा-क्षेत्र में कार्यकर्ता के रूप में अपना स्थान बनाया। कितना आसान और कितना मुश्किल है भारत में एक मुसलमान होना − इसका अंदाज़ लगता...

एपिसोड 31: ‘द ग्रेट निकोबार बिट्रेयल’ − पंकज सेखसरिया

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप ‘द ग्रेट निकोबार’ करीब-करीब पूरी तरह से घने जंगल से ढका हुआ है और आधुनिक सभ्यता से लगभग अछूता है। शोम्पेन और ‘ग्रेट निकोबारी’ आदिवासी समुदाय इस छोटे से द्वीप में सैकड़ों हज़ारों वर्षों से रह रहे हैं। यहाँ अनेकों दुर्लभ पशु-पक्षि, मछलियाँ, व अन्य प्राणी-प्रजातियां पाई जाती हैं। अब भारत सरकार ‘द ग्रेट निकोबार’ द्वीप में एक विशाल ‘ट्रांसशिपमेंट कंटेनर पोर्ट’ यानी बंदरगाह का निर्माण करने जा रही है। साथ ही साथ, एक नए शहर, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, और पावर प्लांट का भी निर्माण होगा। ये सब करने के लिए...

एपिसोड 30: ‘एच-पॉप’ − कुनाल पुरोहित

कुनाल पुरोहित की किताब में तीन किरदार हैं − गायिका कवि सिंह, लेखक व राजनैतिक ‘कमेंटेटर’ संदीप देओ, और कवि कमल अग्नेय। तीनों के कला और हुनर का, आजीविका और पेशे का, केंद्र है हिंदुत्व की विचारधारा; और तीनों अपने श्रोताओं तक पहुँचने के लिए निर्भर हैं इंटरनेट व ‘ऑनलाइन’ जगत पर। क़िताब में, कुनाल इनके सोच, परिवेश, काम-काज, और जीवन के उतराव-चढ़ाव को उजागर करते हैं। और इस तरह, ‘एच-पॉप − द सेक्रेटिव वर्ल्ड ऑफ़ हिंदुत्वा पॉप स्टार्स’ हमारे समय का एक आइना बन जाता है। इंस्टाग्राम पर कुनाल पुरोहित एक्स (ट्विटर) पर कुनाल पुरोहित फेसबुक पर कुनाल पुरोहित लिंक्ड इन पर कुनाल पुरोहित...

एपिसोड 29: ‘नालंदा − हाउ इट चेंज्ड द वर्ल्ड’ − अभय कुमार

नालंदा महाविहार का इतिहास शुरू होता है सम्राट अशोक के समय से, यानी ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से, और खत्म होता है — 1,500 साल बाद — बारहवीं शताब्दी में। ‘नालंदा’ किताब के लेखक अभय कुमार बताते हैं कि अपने समय में नालंदा ज्ञान का एक विश्वविख्यात केंद्र था जहाँ चीन, तिब्बत, कोरिया और जापान जैसे दूर-दराज़ देशों से लोग पढ़ने आते थे। मगर आज नालंदा एक रहस्य है। क्या है नालंदा का महत्व? क्यों आज की वैश्विक आधुनिक सभ्यता नालंदा की ऋणी है? क्या बख्तियार खिल्जी ने वाकई नालंदा का विध्वंस किया था? सुनिए एक चर्चा अभय कुमार के साथ उनकी किताब ‘नालंदा’ पर। इंस्टाग्राम पर अभय कुमार एक्स...

एपिसोड 28: ‘द मेनी लाइव्स ऑफ़ सईदा एक्स’ − नेहा दिक्षित

नेहा दिक्षित की किताब ‘द मेनी लाइव्स ऑफ़ सईदा एक्स’ कहानी है सईदा की, जो बनारस के दंगो में सब कुछ खोने के बाद, आजीविका की तलाश में अपने पति और छोटे बच्चों के साथ १९९६ में दिल्ली आ जाती है। अगले २४ सालों में सईदा दिल्ली में ५० अलग-अलग तरह के काम करती है, जैसे साइकिल के पुर्जे बनाना, बादाम छीलना, डॉक्टर के क्लीनिक में सफाई करना, या गजक, खिलौने और अगरबत्ती बनाना। दिन में १६ से १८ घंटों काम करने के बावजूद सईदा रोटी, कपड़े, और मकान के लिए हमेशा झुझती रहती है। वर्ष २०२० में दिल्ली में दंगे होते हैं और एक बार फिर सईदा का सब कुछ लुट जाता है। सुनिए ‘द मेनी लाइव्स ऑफ़ सईदा एक्स’...

एपिसोड 27: ‘स्टिल, लाइफ़’ − ईशान तन्खा

सितम्बर २०१९ में शुरु हुआ एक घटनाक्रम, जिसकी चार मुख्य कड़ियाँ थीं। पहली कड़ी थी दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाके में सी.ए.ए.−एन.आर.सी. कानूनों का विरोध-प्रदर्शन, जो यहाँ से देश के अन्य भागों में फैला। इसके बाद फ़रवरी २०२१ में दिल्ली में दंगे हुए और इन दंगों के तुरंत बाद पुरे देश में कोविड महामारी का लॉक-डाउन लगा। घटनाक्रम की आखिरी कड़ी थी किसान आंदोलन, जिसके केंद्र थे दिल्ली के बॉर्डर इलाके। ऐसा लगने लगा कि ज़िन्दगी में कुछ बुनियादी बदलाव आ गया है। यही अहसास ताज़ा कर देती हैं फोटो जर्नलिस्ट ईशान तन्खा की तसवीरें, जो उन्होंने तीन पतली पत्रिकाओं में संकलित कर के ‘स्टिल, लाइफ’ के नाम से...

एपिसोड 26: ‘सो सेज़ जन गोपाल’ — पुरुषोत्तम अग्रवाल

विश्वास नहीं होता कि आज से पाँच सौ साल पहले, कबीर व अन्य भक्ति काल के कवियों ने, ख़ास कर वे जो निर्गुण मार्गी थे, जाति प्रथा व अन्य सामाजिक कुरीतियों, और खोखले कर्मकाण्ड की कितनी तीखी आलोचना की थी। ये बातें उभर के आती हैं डॉ पुरुषोत्तम अग्रवाल की नवीनतम पुस्तक में, जिसका विषय है भक्ति काल के कवि, जन गोपाल। जन गोपाल, सोलहवीं और सत्रवीं शताब्दी के एक राजस्थानी कवि और लेखक थे, जो बृज भाषा में लिखते थे। आज वे अपने गुरु दादू दयाल की जीवनी, ‘दादू जन्म लीला’ के लेखक होने के नाम से जाने जाते हैं। आइये सुनते हैं एक चर्चा डॉ पुरुषोत्तम अग्रवाल के साथ उनकी किताब ‘सो सेज़ जन...

एपिसोड 25: ‘बिफोर आई फॉरगेट’ – एम. के. रैना

ज़िन्दगी में उतराव-चढ़ाव को एक ही सिक्के के दो पहलु मानते हुए, प्रेम, सौहार्द, व भाईचारे के भावना को प्रधानता देते हुए, कार्यरत रहना चाहिए। ये बात समझ में आती है, भारत के थिएटर जगत और फिल्म जगत से जुड़े हुए जाने-माने हस्ती, एम. के. रैना के संस्मरण ‘बिफोर आई फॉरगेट’ को पढ़ के — चाहे वो आतंक के साये में घिरे, कर्फ्यू-ग्रस्त श्रीनगर में अपनी माँ की अंतिम क्रिया कर रहे हों; दिल्ली के १९८४ के दंगों में राहत कार्य में जुटे हों; बाबरी-मस्जिद-विध्वंस के बाद अयोध्या में शास्त्रीय संगीत समारोह आयोजित कर रहे हों; या आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर घाटी में भांड-पाथेर नाट्य शैली के पुनर्जागरण में...

एपिसोड 24: ‘सर्कल्स ऑफ़ फ्रीडम’ — टी. सी. ए. राघवन

आज हम गाँधी, नेहरू, सरदार पटेल, और भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता संग्राम के बड़े नेताओं और क्रांतिकारिओं के जीवन से वाकिफ तो हैं, मगर आसफ अली जैसे स्वतंत्रता सैनानि व नेताओं के जीवन का ज्ञान हमको प्रायः नहीं के बराबर होता है। दिल्ली में, भले ही हम आसफ़ अली रोड, अरुना आसफ अली रोड, अंसारी रोड, मौलाना मोहम्मद अली मार्ग जैसे सडकों पर चलते हों, मगर कौन थे ये लोग जिनके यादगार में इन सड़कों का नाम रखा गया है, क्या भूमिका थी इनकी स्वतंत्रता संग्राम में, कैसी थी इनकी ज़िन्दगी, क्या कुर्बानियां दी इन्होंने – ये सब उजागर किया है टी. सी. ए. राघवन ने अपनी किताब ‘सर्कल्स ऑफ़ फ्रीडम’ में। फेसबुक पर...

एपिसोड 23: ‘आइकोनिक ट्रीज़ ऑफ़ इंडिया’ — एस. नटेश

शहंशाह शाहजहाँ, टीपू सुल्तान, और मराठा साम्राज्य के आखरी पेशवा, बाजी राओ द्वितीय – इन्होंने कौन से पेड़ लगाए थे, जो आज भी जीवित हैं? भारत में कहाँ है दुनिया का सबसे बड़ा पेड़ जिसके नीचे एक बार में २०,००० आदमी खड़े हो सकते हैं? कहाँ है भारत का सबसे पुराना वृक्ष, जिसकी उम्र है २०२३ साल? किस पेड़ के नीचे गुरु नानक बैठे थे, और किसके नीचे रबिन्द्रनाथ टैगोर बैठे? किस पेड़ को महात्मा गाँधी ने लगाया था और किसको विश्व विख्यात एक्स्प्लोरर डेविड लिविंगस्टोन ने? इनमे से कुछ सवालों के जवाब आपको मिलेंगे डॉ एस. नटेश के साथ इस चर्चा में, और शेष सवालों के जवाब मिलेंगे उनकी किताब, ‘आइकोनिक ट्रीज ऑफ़...

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