दिल्ली से पूरब की ओर की ट्रेन या बस पकड़ने पर कानपूर-लखनऊ के आस-पास पहुँचने पर एक बॉर्डर आता है, जो मैप पर नहीं दिखता है — ‘मैं’ और ‘हम’ का बॉर्डर। इस सीमा को पार करने के बाद लोग ‘मैं’ की जगह ‘हम’ का प्रयोग करने लगते हैं और आप जान जाते हैं कि अब आप उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग को छोड़ कर राज्य के पूर्वी भाग में आ गए हैं। लखनऊ, कानपूर, बनारस और ईलाहबाद के अलावा ये क्षेत्र गोरखपुर जैसे अन्य छोटे शहरों का भी है। अपनी कहानियों की किताब ‘टाल टेल्स बाय अ स्माल डॉग’ में ओमैर अहमद गोरखपुर की संकरी गलियों और बीते हुए वक़्त में टहलते...
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View allईस्ट इंडिया कंपनी ने ११ सितम्बर सन १८०३ को पटपड़गंज की लड़ाई में मराठा ताकतों को हरा कर दिल्ली और उसके आसपास के छेत्रों पर कब्ज़ा पा लिया और इसके साथ ही दिल्ली के इतिहास में अंग्रेज़ी हुकूमत का दौर आरम्भ हुआ। एक तरफ लाल किले पर तख्तनशीन मुग़ल बादशाह शाह आलम, अकबर और बहादुर शाह ज़फर, और एक तरफ डेविड ऑक्टरलोनी, चार्ल्स मेटकाफ, और विलियम फ़्रेज़र जैसे अंग्रेज़ी रेज़िडेंट हुक्मरान। एक तरफ मिर्ज़ा ग़ालिब, मोमिन, और ज़ौक़, तो एक तरफ देल्ही कॉलेज से जुड़े गणितज्ञ मास्टर राम चन्दर, और विद्वान सर सय्यद अहमद खान। नए स्कूल और कॉलेज, ज्ञान-विज्ञान, प्रिंटिंग प्रेस, टेलीग्राफ, और अख़बार की दिल्ली में...
जॉन लेनन, पॉल मक्कार्टनी, जॉर्ज हैरिसन, रिंगो स्टार – क्या आज से ५०० साल बाद, एक आम इंसान रॉक म्यूजिक के बैंड ‘द बीटल्स’ के सदस्यों का नाम से वाकिफ होगा? शायद ये सवाल इतना अटपटा भी नहीं है। ये तो हक़िकत है कि आज एक सत्रह साल का युवक बीटल्स के गानों को सुन के ठीक उसी तरह झूमता है, जिस तरह ६० साल पहले उसके दादा-दादी इन्हीं गानों को सुन के झूमा करते थे। महज २५ साल के उम्र में इंग्लैंड के लिवरपूल शहर के ये चार लड़के शायद इतनी शोहरत और धन-दौलत को संभाल नहीं पा रहे थे और चैन व तठस्थता की खोज ने उनको हिन्दू धर्म और अध्यात्म की ओर खींचा। वे महर्षि महेश योगी के निमंत्रण पर उनके ऋषिकेश...
साल १९९९, अप्रैल महीने का आखिरी दिन — दिल्ली में, क़ुतुब मीनार से सटे हुए, टामारिंड कोर्ट नाम के रेस्त्रां में एक पेज-३ पार्टी चल रही थी। पार्टी में, जेसिका लाल जो कभी फैशन-मॉडल हुआ करती थीं, ‘सेलिब्रिटी बारटेंडर’ बनी हुई थीं। रात के दो बजे, जब जेसिका ने एक नेता जी के लड़के को ड्रिंक्स देने से इंकार कर दिया तो उसने गोली चला कर जेसिका को वहीं मार डाला। इस सनसनीखेज हत्याकाण्ड को कल्पित रूप देते हुए, पत्रकार कनिका गहलौत ने अपने अंग्रेज़ी उपन्यास ‘अमंग द चैटराटी’ की शुरुआत की है। २००२ में प्रकाशित, दिल्ली की सेलिब्रिटी, फैशन, राजनीती, और पत्रकारिता की दुनिया से जुड़ी...
एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में अफ़सर, चित्रकार, फिल्म निर्माता, फैशन डिज़ाइनर, सूफी-संगीत समारोह के आर्गेनाइजर, सूफी भक्त, शेरोशायरी के आशिक़, अवध के तालुकदार खानदान के वारिस – मुज़फ्फर अली ये सब कुछ हैं। अगर इन्होंने अपनी ज़िन्दगी के लम्बे सफर में बहुत कुछ देखा है, तो वो इसलिए क्योंकि इन्होंने बहुत कुछ किया, और इसलिए भी क्योंकि इन्होंने बहुत कुछ करने की कोशिश की। ये बात समझ में आती है इनके आत्मकथा, ‘ज़िक्र – इन द लाइट एंड शेड ऑफ़ टाइम’ को पढ़ के। सुनिए, मुज़फ्फर अली के साथ उनकी आत्मकथा पर एक चर्चा। इंस्टा पर मुज़फ्फर अली मुज़फ्फर अली द्वारा लिखी गईं पुस्तकें — नॉन फिक्शन...
‘बिग ब्रदर इज़ वाचिंग यू’ यानी ‘बड़े भइया आपको देख रहे हैं — आज जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास ‘१९८४’ की ये लाइन पुरे विश्व में एक चेतावनी के रूप में जानी जाती है। विचार, भाषा, सामाजिक और राजनैतिक संरचना — इन सब के सम्बन्धो को एक भयावह, व तकनिकी रूप से उन्नत, आने-वाले कल में चित्रार्थ करने के लिए १९४८ में छपा ये उपन्यास आज भी दुनिया भर में पढ़ा जाता है। सुनिए ‘१९८४’ पर एक चर्चा अभिषेक श्रीवास्तव के साथ जिन्होंने इस उपन्यास का हिंदी में अनुवाद किया है। (आप शो नोट्स sambandhkakeki.com पर भी देख सकते हैं।) फ़ेसबुक पर अभिषेक...
‘भारत के मुसलमानों की जनसंख्या तेज गति से बढ़ रही है और इससे देश को खतरा है।’ ये बात अक्सर सुनने को मिलती है। मगर जो ‘मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर’ प्रायः सांप्रदायिक तनाव और भय का कारण बन जाता है, उसकी सच्चाई क्या है? तथ्य और आंकड़ों के माध्यम से ये बात समझाते हैं, भारत के भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस. वाई. कुरैशी अपनी पुस्तक ‘द पॉपुलेशन मिथ’ में। सुनिए डॉ. कुरैशी के साथ इस विवादास्पद मुद्दे पर एक रोचक चर्चा। (आप शो नोट्स sambandhkakeki.com पर भी देख सकते हैं।) ट्विटर व इंस्टा पर डॉ. एस. वाई. कुरैशी डॉ. एस. वाई. कुरैशी द्वारा लिखी गईं पुस्तकें –...
वर्ष २००६, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान हुकूमत को गिरे हुए पाँच साल हो चुके हैं — तरनखान पहली बार हिंदुस्तान से अफ़ग़ानिस्तानकी राजधानी काबुल पहुँचती हैं तो उनको लगता है कि वे एक अजनबी शहर में आयी हैं, और साथ-साथ यह भी लगता है कि ऐसे शहर में आई हैं जिससे उनका पुराना परिचय हो। काबुल में उनकी पहचान शायरों, फिल्म निर्माताओं, पत्रकारों और शहर के अन्य बाशिंदो से होती है। वक़्त के साथ, वे पाती हैं कि उनकी कल्पना के शहर और उनकी हकीकत के शहर में फ़र्क़ है। आइये सुनते हैं, तरन खान के साथ उनकी किताब ‘शैडो सिटी — अ वुमन वॉक्स काबुल’ पर एक चर्चा। (आप शो नोट्स,sambandhkakeki.comपर भी देख...
एक बेहतरीन योद्धा, कुशल प्रशासक, और दूरदृष्टिवान शासक — शहंशाह अकबर ने सम्पूर्ण उत्तरी हिन्द महाद्वीप में अपना साम्राज्य स्थापित किया और अपने बहुलवादी (प्लुरलिज़्म) एवं सहनशीलतावादी (टॉलरेंस) नीतियों द्वारा वर्तमान और भविष्य के हिंदुस्तान के लिए ‘विविधता में एकता’ की मिसाल खड़ी की। एक १३ साल का लड़का जिसके पिता की मौत हो चुकी थी, और जो महत्वाकांक्षी दरबारियों, सिपहसालारों, और अमीरों से घिरा हुआ था, विश्व के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक कैसे बन गया? सुनिए, पार्वती शर्मा के साथ एक चर्चा उनकी किताब ‘अकबर ऑफ़ हिंदुस्तान’ यानी ‘हिन्दुस्तान का अकबर’ पर।...