आज़ाद भारत के महान चित्रकार सय्यद हैदर रज़ा ने अपने लम्बे जीवन के ६० वर्ष फ्रांस में गुज़ारे, मगर उनकी कला का मुख्य प्रेरणा स्रोत भारत की संस्कृति रही। इस प्रेरणा का सबसे जाना-माना प्रतीक है ‘बिंदु’, वो काले या अन्य रंग का गोल घेरा जो रज़ा साहब के चित्रों में हमारी नज़र को अपनी ओर खींचता है। अपनी पुस्तक ‘सेलिब्रेशन एंड प्रेयर’ में अशोक वाजपेयी लिखते हैं, कि बिंदु − एक उत्पत्ति का बिंदु और एक अंत का बिंदु है; एक अधयात्मिक अवधारणा है और सौंदर्यशास्त्र से जुड़ी कृति है; एक स्थिर केंद्र और ऊर्जा का एक स्रोत है; एक मौन की बिंदु और स्फूर्त गति की शरुआत है; एकीकरण और ध्यान का केंद्र है; विकिरण की बिंदु है; और अंकुरण व प्रकाश की बिंदु है। सुनिए रज़ा और उनकी कला पर एक चर्चा अशोक वाजपेयी के साथ।
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(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

