एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में अफ़सर, चित्रकार, फिल्म निर्माता, फैशन डिज़ाइनर, सूफी-संगीत समारोह के आर्गेनाइजर, सूफी भक्त, शेरोशायरी के आशिक़, अवध के तालुकदार खानदान के वारिस – मुज़फ्फर अली ये सब कुछ हैं। अगर इन्होंने अपनी ज़िन्दगी के लम्बे सफर में बहुत कुछ देखा है, तो वो इसलिए क्योंकि इन्होंने बहुत कुछ किया, और इसलिए भी क्योंकि इन्होंने बहुत कुछ करने की कोशिश की। ये बात समझ में आती है इनके आत्मकथा, ‘ज़िक्र – इन द लाइट एंड शेड ऑफ़ टाइम’ को पढ़ के। सुनिए, मुज़फ्फर अली के साथ उनकी आत्मकथा पर एक चर्चा।
मुज़फ्फर अली द्वारा लिखी गईं पुस्तकें —
नॉन फिक्शन
मुज़फ्फर अली के कुछ चहेते गीत —
फिल्म ‘अभी ना जाओ छोड़कर’ का गीत, ‘अभी ना जाओ छोड़कर’
फिल्म ‘रज़िया सुल्तान’ का गीत, ‘ऐ दिल-ए-नादाँ’
फिल्म ‘उमराओ जान’ का गीत, ‘ये क्या जगह है दोस्तों’