जब १९८० के दशक में सम्राट चौधरी मेघालय की राजधानी शिलांग में पल-बढ़ रहे थे तो वहाँ के विधान-सभा भवन के दीवार पर किसी ने बड़े अक्षरों में लिख दिया था ‘खासी बाय ब्लड, इंडियन बाय एक्सीडेंट‘। मतलब — ‘मेरी पहचान, मेरा नस्ल, खासी है; हिंदुस्तानी तो महज इत्तेफ़ाक़ से हूँ।’ जब उनके दोस्त नागालैंड या मणिपुर से कलकत्ता, दिल्ली, या मुंबई आ रहे होते थे तो वे कहते थे, ‘हम इंडिया जा रहे हैं।’ पूर्वोत्तर भारत के उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के राजनितिक इतिहास को हम दो भागों में बाँट सकते हैं। पहला भाग — अंग्रेज़ी हुकूमत द्वारा इस क्षेत्र को भारत से जोड़ने का प्रयास। और, दूसरा भाग — स्वतंत्र भारत में इस क्षेत्र के भारत से अलग होने के प्रयास। ये इतिहास लिखा है सम्राट ने अपनी विस्तृत मगर सुगम पुस्तक ‘नार्थ–ईस्ट इंडिया — अ पोलिटिकल हिस्ट्री‘ में। आइये सुनते हैं एक चर्चा उनकी किताब पर, सम्राट चौधरी के साथ।
- एक्स (ट्विटर) पर सम्राट चौधरी
- सम्राट चौधरी का वेबसाइट
- ‘नार्थ-ईस्ट इंडिया — अ पोलिटिकल हिस्ट्री‘ अमेज़न पर
- सम्राट चौधरी द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर
- पॉडकास्ट में चर्चा की गई अन्य पुस्तकें —
- हिस्ट्री ऑफ़ धर्मशास्त्र, लेखक पांडुरंग वामन काणे
- धर्मशास्त्र का इतिहास, लेखक पांडुरंग वामन काणे
(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)