दिल्ली में महात्मा गाँधी की समाधी ‘राजघाट’ के निकट यमुना नदी के तट से सटा एक पावर प्लांट हुआ करता था जिसका उद्घटान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने १९६३ में किया था। पचास साल से ऊपर देश की राजधानी को बिजली प्रदान करने के बाद इस बिजली घर को बंद कर दिया गया। कारण था, शहर में प्रदुषण का प्रकोप, जिसमे योगदान था इसके चिमनियों से निकलते कोयले के धुंए का। रवि अगरवाल तेरह साल की उम्र में ही, हाथ में कैमरा लिए, इस बिजली घर के इर्द-गिर्द घूम चुके थे। इसके बंद होने के कुछ समय बाद रवि — अब एक जानेमाने पर्यावरण कार्यकर्ता और कलाकार की हैसियत से — कैमरों से लैस, इस वीरान कारखाने के अंदर अकेले गए और वहाँ चार दिनों के अंदर कई तस्वीरें उतारी। उन तस्वीरों का संकलन है, उनकी ‘फोटो बुक’, यानी तस्वीरों की किताब, ‘द पावर प्लांट — फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम’।
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- ‘द पावर प्लांट — फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम’, रवि अगरवाल की वेबसाइट पर
- रवि द्वारा लिखी गई अन्य पुस्तकें व लेख रवि अगरवाल की वेबसाइट पर
- ‘दिल्ली रिज’ के बचाव पर रवि का लेख
- गांधीजी और ‘क्लाइमेट चेंज’ पर रवि का लेख
(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)