कई लोगों का मानना है कि प्रेमचंद के ‘गोदान’ के बाद हिंदी साहित्य का सर्वोच्च उपन्यास है, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की कृति ‘शेखर : एक जीवनी’। सच्चिदानंद वात्स्यायन को ‘अज्ञेय’ उपनाम स्वयं प्रेमचंद ने दिया था और, आगे चल के, फणीश्वर नाथ रेणु ने एक लेख में उनको — ‘अलख, अचल, अगम, अगोचर, अजब, अकेला, अज्ञेय’ कहा था। अपने जीवन काल में अज्ञेय ने कविताएं, उपन्यास, लघु-कहानियाँ, निबंध, यात्रा-वृतांत, और अख़बार व पत्रिकाओं के लिए अनेक आलेख लिखे। अज्ञेय को हिंदी साहित्य में आधुनिकतावाद यानी ‘मॉडर्निज़्म’ का जनक माना जाता है। अक्षय मुकुल की लिखी हुई, अज्ञेय की जीवनी का शीर्षक है ‘राइटर, रेबेल, सोल्जर, लवर’ यानी, लेखक, बाग़ी, सैनिक, और प्रेमी। ये बहुप्रशंसित जीवनी अज्ञेय के जीवन के हर एक पहलु पर प्रकाश डालती है।
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(‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

