दिल्ली से पूरब की ओर की ट्रेन या बस पकड़ने पर कानपूर-लखनऊ के आस-पास पहुँचने पर एक बॉर्डर आता है, जो मैप पर नहीं दिखता है — ‘मैं’ और ‘हम’ का बॉर्डर। इस सीमा को पार करने के बाद लोग ‘मैं’ की जगह ‘हम’ का प्रयोग करने लगते हैं और आप जान जाते हैं कि अब आप उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग को छोड़ कर राज्य के पूर्वी भाग में आ गए हैं। लखनऊ, कानपूर, बनारस और ईलाहबाद के अलावा ये क्षेत्र गोरखपुर जैसे अन्य छोटे शहरों का भी है। अपनी कहानियों की किताब ‘टाल टेल्स बाय अ स्माल डॉग’ में ओमैर अहमद गोरखपुर की संकरी गलियों और बीते हुए वक़्त में टहलते-घूमते हुए, यहाँ के बाशिंदो की दास्ताँ का बयान करते हैं। आइये सुनते हैं, ओमैर अहमद के साथ उनकी नई कहनी-संग्रह पर एक चर्चा।
ओमैर अहमद द्वारा लिखी गईं पुस्तकें —
द किंगडम ऐट द सेंटर ऑफ़ द वर्ल्ड — जरनीज़ इंटू भूटान
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